तुम रात को रात और सुबह को सुबह कहते हो
तुम रात को रात और सुबह
को सुबह कहते हो।
अच्छे को अच्छा और बुरे
को बुरा कहते हो।
आदत है तुम्हें गम को गम कहने की,
मगर सबसे जुदा कहते हो।
खुदा है सबसे अलग तुम्हारा तो,
बनाके पत्थर को मूरत खुदा कहते हो।
दुश्मनी भी इक कारोबार है तुम्हारे लिए,
बन के वैध ज़हर को दवा कहते हो।
दे देते हो मज़बूरी का नाम बेवफाई को,
फिर क्यों बेवफ़ा को बेवफ़ा कहते हो।