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24 Aug 2024 · 1 min read

तुम रात को रात और सुबह को सुबह कहते हो

तुम रात को रात और सुबह
को सुबह कहते हो।

अच्छे को अच्छा और बुरे
को बुरा कहते हो।

आदत है तुम्हें गम को गम कहने की,
मगर सबसे जुदा कहते हो।

खुदा है सबसे अलग तुम्हारा तो,
बनाके पत्थर को मूरत खुदा कहते हो।

दुश्मनी भी इक कारोबार है तुम्हारे लिए,
बन के वैध ज़हर को दवा कहते हो।

दे देते हो मज़बूरी का नाम बेवफाई को,
फिर क्यों बेवफ़ा को बेवफ़ा कहते हो।

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