तुम याद आये !
,
तुम याद आये !
———————–
हुआ सवेरा नींद से जागे ,
नजर घुमाई इत-उत देखा;
कहीं नजर आ जाते तुम तो,
मन भर जाता तुम दिखते तो,
तुम न दिखे तो तुम याद आए!
जब याद आये,तुम याद आये !!
विचलित मन एक आहट आई,
हृदय हिला एक लहर समाई,
पाँव धरूँ तो बढ़ें न आगे –
बाहों के आवृत्त निरर्थक,
सूनी गोद याद तुम आये !
जब याद आये,तुम याद आये !!
साँझ भई पाखी घर लौटे,
मन कहता है तुम भी लौटो,
आते ही आलिंगन पाऊँ-
पंजा मसको कस-मस जाऊँ,
यह न हुआ तो तुम याद आये!
जब याद आये, तुम याद आये !!
देह हमारी या कि तुम्हारी ,
अर्पित है सारी की सारी ,
तुम न रहो तुम,मैं न रहूँ मैं –
ऐसे भाव जगाओ प्रियवर ,
सारी सृष्टि निहित हो जाये!
जब याद आये,तुम याद आये !!
तुम ना परखो मैं ना परखूँ ,
प्रेम बहार बनूँ बन बरखूँ,
हेरूँ हर पल अपलक लोचन-
दीठि प्रदेश हरेक पन निरखूँ,
तुम बिन प्रभु भी नजर न आये!
जब याद आये,तुम याद आये !!
जब न दिखोगे जी दौड़ेगा,
मन मैं क्या है मन पूछेगा ,
दिल मन से मन दिल से पूछे ,
तुम्हें कसम तुम सत्य बताना-
मुझ बिन कैसे दिवस बिताये !
निज मन की कब तक मन राखूँ!
जब याद आये,”तुम याद आये” !!
——————————————
मौलिक-चिंतन
राम स्वरूप दिनकर