Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2024 · 1 min read

तुम में एहसास

तुम में एहसास ज़िंदा रह जाएं ,
दर्द से खुद को जोड़ कर रखिए ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 16 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
दिन में तुम्हें समय नहीं मिलता,
दिन में तुम्हें समय नहीं मिलता,
Dr. Man Mohan Krishna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
Rituraj shivem verma
#संघ_शक्ति_कलियुगे
#संघ_शक्ति_कलियुगे
*प्रणय प्रभात*
*पहले वाले  मन में हैँ ख़्यालात नहीं*
*पहले वाले मन में हैँ ख़्यालात नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जो दिखता है नहीं सच वो हटा परदा ज़रा देखो
जो दिखता है नहीं सच वो हटा परदा ज़रा देखो
आर.एस. 'प्रीतम'
माँ स्कंदमाता की कृपा,
माँ स्कंदमाता की कृपा,
Neelam Sharma
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
सब बिकाऊ है
सब बिकाऊ है
Dr Mukesh 'Aseemit'
Embers Of Regret
Embers Of Regret
Vedha Singh
पिता
पिता
Dr.Priya Soni Khare
मज़दूर दिवस विशेष
मज़दूर दिवस विशेष
Sonam Puneet Dubey
रात भर नींद भी नहीं आई
रात भर नींद भी नहीं आई
Shweta Soni
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
*छोटे होने में मजा, छोटे घास समान (कुंडलिया)*
*छोटे होने में मजा, छोटे घास समान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सच का सौदा
सच का सौदा
अरशद रसूल बदायूंनी
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"खुद के खिलाफ़"
Dr. Kishan tandon kranti
फर्क नही पड़ता है
फर्क नही पड़ता है
ruby kumari
धर्म की खूंटी
धर्म की खूंटी
मनोज कर्ण
पिता (मर्मस्पर्शी कविता)
पिता (मर्मस्पर्शी कविता)
Dr. Kishan Karigar
हम बेजान हैं।
हम बेजान हैं।
Taj Mohammad
बड़ी मुद्दतों के बाद
बड़ी मुद्दतों के बाद
VINOD CHAUHAN
सफलता के बीज बोने का सर्वोत्तम समय
सफलता के बीज बोने का सर्वोत्तम समय
Paras Nath Jha
कुछ नया लिखना है आज
कुछ नया लिखना है आज
करन ''केसरा''
नीला ग्रह है बहुत ही खास
नीला ग्रह है बहुत ही खास
Buddha Prakash
मन मंदिर के कोने से
मन मंदिर के कोने से
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बहुत टूट के बरसा है,
बहुत टूट के बरसा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कितने बड़े हैवान हो तुम
कितने बड़े हैवान हो तुम
मानक लाल मनु
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...