तुम मान हो हमारे…….*
लाल हो हरी हो
देश की तुम परी हो
तुम्हे डरना नहीं यहां
तुम अनुशासन की छड़ी हो।
तुम्हारे बिना ये जग है सुना
तुम ममता की मूरत साक्षात खड़ी हो ।।
(ये पंक्ति मैंने देश की सभी बेटियों के सम्मान में लिखने की कोशिश की है।
और मै सभी माता और बहनों से कहना चाहता हूं कि अपने परिवेश, अपनी संस्कृति को ना गवाएं ।)