तुम बिन जीने की बात सोचकर ही डर जाती हूं
जागती हूं मैं दीवानी, तेरी यादों के संग संग,
कभी अकेली रातों में तेरे सपने सजाती हूं।
तुझ्से ही है जहां मेरा रोशन, तुझे पाकर मैं सारी दुनिया को भूल जाती हूं।
तूने सिखाया है हंसना मुझे, अब तो ये आलम है कि मैं अपने आप ही मुस्कुराती हूं।
तुमसे दूर जाऊं भी तो कैसे, तुम्हारे साथ मैं खुद को महफूज़ पाती हूं।
तुमसे बिछड़कर न रह पाऊंगी मैं,
तुम बिन जीने की बात सोचकर ही डर जाती हूं।