तुम पे जो मैंने गीत लिखे
बिखेर चली तुम साज मेरा !
अब कैसे गीत गाऊँ मैं !!
तुमने ही जो ठुकरा दिया
अब किस से प्रीत लगाऊं मैं !!
सूना -सूना सब तुम बिन
रात अँधेरी फीके दिन !
तुम पे जो मैंने गीत लिखे
किसको आज सुनाऊँ मैं!!
बिखरी – बिखरी सब आशाएं
घेरे मुझको घोर निराशाएं !
नौका जो छूट गई हैं मुझसे
अब कैसे साहिल पाऊँ मैं!!
रूठे स्वर ,रूठी मन -वीणा
मुश्किल हुआ तन्हा जीना !
कहो कविते! अब तुम बिन
कैसे आज गुनगुनाऊँ मैं!!
सताती हर पल तेरी यादें
बीता मौसम , बीता बातें !
टूटी कसमें ,टूटे सब वादें
किस पे आज मर जाऊं मैं!!
✍ सत्यवान सौरभ
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