तुम नादानं थे वक्त की,
तुम नादानं थे वक्त की,
रहनुमाई को जान सकें।
कोई अपना था,न कोई
पराया है ये भी भान सकें।
गजब है कुदरत सांचे
करें फांके है,
फरेबियों लोगों को”अज्ञानी न
जान सकें।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र•