तुम दूर न होते
काश!! काश!! तुम दूर न होते।
हम भी ज्यादा मजबूर न होते।
गर तुम्हारा इश्क़ नहीं होता,
तो हम इतने मशहूर न होते।
तुम्हारे चेहरे की रंगत से ,
हर हीरा चमका करता है।
गर तुम्हारी चमक नही होती,
तो हीरे कभी कोहिनूर न होते।
काश!! काश!! तुम दूर न होते।
इल्ज़ाम तुम्ही पर लगता है
जो क़ातिल तेरी निगाहें हैं।
मैं कत्ल होने पर आमादा हूँ
खुली हुई मेरी बाहें हैं।
तुम इतने हसीं नही होते
तो मुझ में इतने गुरुर न होते।
काश!! काश!! तुम दूर न होते।
तुमसे कहीं ज्यादा चंचल
तुम्हारी बेबाक सी यादें हैं।
तुम्हे जी भर के देखें हर पल
ये खुद से किए हुए वादे हैं।
गर तुम यादों में नही आते,
तो जेहन में तेरे सुरूर न होते।
काश!! काश!! तुम दूर न होते।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी