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13 Jul 2024 · 1 min read

“तुम तो बस अब गरजो”

“तुम तो बस अब गरजो”
हम तड़पते हैं तो तुम भी थोड़ा तड़पो…
मिलन संभव नहीं अब विरह में ही तड़पो!
बरसना धरा की सेहत के लिए है ठीक नहीं,
ऐ काली घनघोर घटा, तुम तो बस अब गरजो!

…. अजित कर्ण ✍️

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