तुम जो मिलें
पिया,
तुम जो मुझे मिलें
जिन्दगी की कश्तियाँ सज गई
तुम जो मुझे मिले
मेरी आँखो में मस्तियाँ खिल गई
तुम जो मुझे मिलें———–
पिया,
तुम जो मुझे मिलें
भूली हुई यादें छनछनाने लगी
तुम जो मुझे मिलें
रग-रग मेरी इतराने लगी
तुम जो मुझे मिले———-
पिया,
तुम जो मुझे मिले
मन का दादुर पपीहा गाने लगा
तुम जो मुझे मिलें
जिया हरष हरष हरसाने लगा
जो तुम मुझे मिले———–
पिया ,
जो तुम बहुत दिन बाद मिलें
पिया तुम आकर मत जाना रे
छोड़ अकेला मत भटकाना रे
उर से मुझे लगाये रखना रे
जो तुम मुझे मिलें————
पिया,
जब से तुमसे मिली
बादलों में जैसे बदरियाँ घिरती
प्यासी अखियाँ भी तरसती
बंधन है यह तेरे प्यार का
पिया समर्पण तेरे प्यार को
जो तुम मुझे मिलें——–
डॉ मधु त्रिवेदी