तुम गर्म चाय तंदूरी हो
तुम हलवा हो, तुम पूड़ी हो|
तुम गर्म चाय तंदूरी हो|
सच कहता हूँ समझो जानूँ-
इस दिल को बहुत जरूरी हो|
सन्तोष कुमार विश्वकर्मा ‘सूर्य’
तुम हलवा हो, तुम पूड़ी हो|
तुम गर्म चाय तंदूरी हो|
सच कहता हूँ समझो जानूँ-
इस दिल को बहुत जरूरी हो|
सन्तोष कुमार विश्वकर्मा ‘सूर्य’