” तुम क्या चाहते हो ? “
हंसा कर रूला जाते हो ,
पास बुला कर ठुकरा जाते हो ।
प्यार की दुहाई दे कर ,
शर्तों में बांधना चाहते हो ।
जाते – जाते ये तो बता दो ,
तुम क्या चाहते हो ?
जैसे हम है वैसे ही अपनाने की बात करते हो ,
थोड़ा खुद को बदल लो तुम ,
ये सलाह भी दे जाते हो ।
परेशान हो तुम ,
वज़ह हम से जानना चाहते हो ।
जाते – जाते ये तो बता दो ,
तुम क्या चाहते हो ?
बेवजह तुम मुस्कुरा जाते हो,
हमारे मुस्कुराने की वज़ह चाहते हो ।
हमारी सादगी पर अपना दिल हार जाते हो ,
हीरों की अंगूठी से हमें तौलना चाहते हो ।
जाते – जाते ये तो बता दो ,
तुम क्या चाहते हो ?
जो बीत गया उसे याद ना करने का वादा चाहते हो ,
खुद ही अतीत के पन्नों को खोल जवाब चाहते हो ।
अटूट विश्वास का नाता जोड़ना चाहते हो,
हमारे प्यार का प्रमाण भी चाहते हो ।
जाते – जाते ये तो बता दो ,
तुम क्या चाहते हो ?
– ज्योति