तुम केश तुम्हारे उड़ने दो
तुम केश तुम्हारे उड़ने दो
इन्हें अस्तव्यस्त ही रहने दो
जगवालों की तो आदत है
ये कहते हैं इन्हें कहने दो
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’
तुम केश तुम्हारे उड़ने दो
इन्हें अस्तव्यस्त ही रहने दो
जगवालों की तो आदत है
ये कहते हैं इन्हें कहने दो
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’