तुम उड़ते जाओ
तुम उड़ते जाओ कि खूब ऊंचे
नजर हवा पर जमाये रखना
गगन के मेहमान बन भी जाना
जमीं से रिश्ता बनाये रखना…
अँधेरों से होड़ है तुम्हारी
सितारे मुट्ठी में भर रहे हो
उजाले का राज लाओगे ही
जतन भी इतने जो कर रहे हो
सूरज भी हाथ आ जाये लेकिन
दिए को भी तुम जलाये रखना…
वो कहता है कि मरा नहीं हूँ
जो जिंदा है भी तो कर क्या लेगा
यह मोम का तो बना नहीं
जो आंच से पिघला भर क्या देगा
जो कांच के ग र तुम्हारे घर हों
तो पत्थरों से बचाये रखना…
जमाना भी जिनका ख़ौफ़ खाता
वो डरते हैं साये से भी अपने
फ़टे हुए दामनों के मालिक
सितारों के देखते हैं सपने
जो अंधों के गांव जा रहे हो
आंखों पे चश्मा लगाए रखना…
✍️सतीश शर्मा