तुम आओ तो बात बने
गीत
तुम आओ तो बात बने
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मीठा हर आघात बने।
तुम आओ तो बात बने।
आभासी परिवेशों से।
चुरा याद अवशेषों से।
मौन हृदय का मध्दम स्वर।
बुला रहा स्मृति के घर।
उर – उभरो हालात बने।
तुम आओ तो बात बने।
विरहाकुल अंतर्मन में।
सुरभित मन के मधुवन में।
प्रेम तुहिन की बूंदों से।
भर दो उर की अंजलि ये।
मधुरिम सांझ -प्रभात बने।
तुम आओ तो बात बने।
तृषित अधर की प्यास बुझा।
मधुर मिलन की युक्ति सुझा।
घोर निशीथ अकेली है।
प्रिय क्यों हुई हठीली है।
डूब नयन में रात बने।
तुम आओ तो बात बने।
दिल के झांक झरोखे से।
दे अहसास अनोखे से।
प्रेम दान कर निश्छल सा।
कर दो पागल पागल सा ।
प्रेमी वाली जात बने।
तुम आओ तो बात बने।
धैर्य छीनती अँगड़ाई।
चिढ़ा रही है पुरवाई।
महक पुकारे अनदेखी।
अपना किस्सा आलेखी।
चिर अंकित मुलाकात बने।
तुम आओ तो बात बने।
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अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ, सबलगढ(म.प्र.)