तुम आओगे इक दिन इसी उम्मीद में हम दर को देखते हैं,
तुम आओगे इक दिन इसी उम्मीद में हम दर को देखते हैं,
रस्ता तुम्हारा शामों सहर देखते हैं।
छत पर लगाये हैं झिलमिलाते सितारे,
फर्श पर बिछाकर फूल हम अपने घर को देखते हैं।
हरदम लगता है जैसे तुम आ जाओगे कभी भी,
इसलिए आइने में खुद को सज संवर कर देखते हैं।
तुमको देख न ले कोई और हमारे सिवा,
तेरी तस्वीर को सबसे छुपाकर देखते हैं।
सोचते हैं कि हमने तो मोहब्बत की है तुमसे,
यही सोच के तुमको बेखबर देखते हैं।