*तुम अगर साथ होते*
तुम अगर साथ होते
जीवन की हर कठिन राह आसान हो जाती,
यूं न उलझते हर काम सुलझ जाते।
खुशी की सीमा न रह जाती,
दुखी होकर भी गम हल्का कर जाते।
मन की बात कहके हाल अपना सुना जाते,
कभी भींगी पलकों से आंखो को झुका देते,
कभी खुश होके मीठा दर्द छुपा लेते।
दूर रहकर अजनबी की तरह से साझा करते,
कभी पास आकर गले से लगा जाते।
तन्हा दिल क्या करे अपनी किसे सुनाते,
कैसे गुजरे दिन और रातें कैसी चंद मुलाकातें,
नहीं होती कभी बातें न नजरें मिल पाते।
तुम अगर साथ होते तो वादे पूरे कर जाते।
कैसी कितनी बार हम यादों में खो जाते,
कभी खुश हो कभी आंखों से नीर बहाते।
दूर रहकर भी एहसास यही वजह बन जाते,
समझा कर मन को यूं ही समय बिता देते।
काश ऐसा हो तुम अगर साथ हमारे होते,
कुछ हम कहते सुनते कुछ अपनी सुना जाते।
तुम अगर साथ होते
सब संभव हो खुशियों का पैगाम ले आते।
तुम अगर साथ होते तो वादे पूरे हो जाते
तुम अगर साथ होते तो हर कदम आगे बढ़ते जाते
मंजिल करीब हो जाती सफर तय करते ही जाते।
तुम अगर साथ होते
शशिकला व्यास शिल्पी ✍️