तुम्हे चिढ़ाए मित्र
दिखलाओगे जो उसे, वही दिखेगा चित्र |
शीशे की औकात क्या,.तुम्हे चिढाए मित्र |
वे भी देने लग गये, जनता को उपदेश ।
जिनका है आधार ही, भ्रष्टाचार रमेश ।।
रमेश शर्मा
दिखलाओगे जो उसे, वही दिखेगा चित्र |
शीशे की औकात क्या,.तुम्हे चिढाए मित्र |
वे भी देने लग गये, जनता को उपदेश ।
जिनका है आधार ही, भ्रष्टाचार रमेश ।।
रमेश शर्मा