Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Nov 2024 · 1 min read

तुम्हे क्या लगता,

तुम्हे क्या लगता,
बहुत दूर तलक जा पाओगे,
मुझे यकीन है,
उन्हीं पैरों से वापस आओगे।
जहां पर छोड़े हैं निशां,
मैने अपनी मुहब्बत के।
पलटकर देखो उन्हें,
क्या कभी मिटा पाओगे।।

18 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उदास रात सितारों ने मुझसे पूछ लिया,
उदास रात सितारों ने मुझसे पूछ लिया,
Neelofar Khan
#आज_का_संदेश
#आज_का_संदेश
*प्रणय*
समय का निवेश:
समय का निवेश:
पूर्वार्थ
शून्य से अनंत
शून्य से अनंत
The_dk_poetry
जीवन सबका एक ही है
जीवन सबका एक ही है
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिंदगी
जिंदगी
Bodhisatva kastooriya
विषय:- विजयी इतिहास हमारा। विधा:- गीत(छंद मुक्त)
विषय:- विजयी इतिहास हमारा। विधा:- गीत(छंद मुक्त)
Neelam Sharma
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-151से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे (लुगया)
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-151से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे (लुगया)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
दिए जलाओ प्यार के
दिए जलाओ प्यार के
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
संकट मोचन हनुमान जी
संकट मोचन हनुमान जी
Neeraj Agarwal
रोम रोम है पुलकित मन
रोम रोम है पुलकित मन
sudhir kumar
डर
डर
अखिलेश 'अखिल'
"आईना सा"
Dr. Kishan tandon kranti
कपट
कपट
Sanjay ' शून्य'
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना
Dr fauzia Naseem shad
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
ईश्वर की अजीब लीला है...
ईश्वर की अजीब लीला है...
Umender kumar
"हृदय में कुछ ऐसे अप्रकाशित गम भी रखिए वक़्त-बेवक्त जिन्हें आ
गुमनाम 'बाबा'
भक्ति गीत
भक्ति गीत
Arghyadeep Chakraborty
मार्केटिंग
मार्केटिंग
Shashi Mahajan
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कांटों से तकरार ना करना
कांटों से तकरार ना करना
VINOD CHAUHAN
ग़ज़ल (जब भी मेरे पास वो आया करता था..)
ग़ज़ल (जब भी मेरे पास वो आया करता था..)
डॉक्टर रागिनी
सिलसिला
सिलसिला
Ramswaroop Dinkar
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे ।
Buddha Prakash
आओ बाहर, देखो बाहर
आओ बाहर, देखो बाहर
जगदीश लववंशी
2802. *पूर्णिका*
2802. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेबसी!
बेबसी!
कविता झा ‘गीत’
और तो क्या ?
और तो क्या ?
gurudeenverma198
Loading...