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8 Aug 2024 · 1 min read

तुम्हें मुझको रिझाना चाहिये था

तुम्हें मुझको रिझाना चाहिये था
कोई नगमा सुनाना चाहिये था
मुझे तो आदतें थीं रूठने की
तुम्हें मुझको मनाना चाहिये था।।
अर्चना मुकेश मेहता

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