तुम्हें मुझको रिझाना चाहिये था
तुम्हें मुझको रिझाना चाहिये था
कोई नगमा सुनाना चाहिये था
मुझे तो आदतें थीं रूठने की
तुम्हें मुझको मनाना चाहिये था।।
अर्चना मुकेश मेहता
तुम्हें मुझको रिझाना चाहिये था
कोई नगमा सुनाना चाहिये था
मुझे तो आदतें थीं रूठने की
तुम्हें मुझको मनाना चाहिये था।।
अर्चना मुकेश मेहता