तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
मैं तो बस तुम्हारे मन की बात सुनना चाहता हूँ।।
तुम्हें बुरा लगता है मेरा तुम्हारी नज़रों में झाँकना,
मैं तो बस तुम्हारे भीतर के जख्मों को जानना चाहता हूँ।।
तुम्हें बुरा लगता है मेरा तुम्हारे पास आना,
क्योंकि तुम अब किसी को भी अपने पास लाने से डरती हो बहुत।।
तुम्हें बुरा लगता है मेरा तुम्हारे हाथों को थामना,
मैं तो बस तुम्हारे हाथों की सिहरन को महसूस करना चाहता हूँ।।
तुम्हें बुरा लगता है मेरा तुम्हारी आँखों को स्पर्श करना,
मैं तो बस तुम्हारी पलकों में दबी नमी को अपनी उंगलियों पर महसूस करना चाहता हूँ।।
तुम्हें बुरा लगता है मेरी उँगलियों का स्पर्श तुम्हारे लबों पर,
मैं तो बस उन लबों पर मुस्कान के पीछे दबी सिसकियों को महसूस करना चाहता हूँ।।
तुम्हें बुरा लगता है मेरा तुम्हें अपने सीने से लगाना,
मैं तो बस तुम्हारे हृदय के हर दर्द को करीब से महसूस करना चाहता हूँ।।
तुम्हें बुरा लगता हूँ मैं, बुरा लगता है मेरा हर एहसास,
मैं तो बस तुम्हें अपने प्रेम का एहसास देना चाहता हूँ।।