तुम्हें चाहा तुम्हें चाहा ____ मुक्तक
तुम्हें चाहा तुम्हें चाहा यही तो चाहत है जागी।
आफत सारी मिट जाए इजाजत तुमसे है मांगी।।
तुम्हारे बिन हमारी जिंदगी का ना कोई मकसद।
प्रेम की हूंक उठी दिल में लगन फिर ऐसी है लागी।।
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दीवाना तेरी चाहत का तुझे मैं अपना बना लूंगा।
जगा के दिल में तेरे प्यार प्यास सारी बुझा दूंगा।।
प्यार इक पावन बंधन है हम इसमें बंध जाएं।
रिश्ता यह टूट ना पाए, तेरा हर स्वप्न सजा दूंगा।।
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राजेश व्यास अनुनय