तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से
किसी की देख सफलता, आहे भरने से।
कुछ नहीं मिलता, कुछ नहीं मिलेगा।।
तुम्हें क्या लाभ होगा, ईर्ष्या करने से।
तू खुद ही जलेगा, कुछ नहीं मिलेगा।।
किसी की देख सफलता——————-।।
रोता रहा है तू हमेशा, किस्मत का रोना।
करता रहा है तू हमेशा, जादू – टोना।।
हमेशा दिया है तुमने, दोष खुदा को ही।
बिन मेहनत तुमको, कुछ नहीं मिलेगा।।
किसी की देख सफलता—————–।।
भूलकर अपनी जमीं, तुमने सोहबत की ऐसी।
देखा नहीं अपना घर, मोहब्बत तुमने की ऐसी।।
बेच दिया तुमने तो, अपना घर और ईमान।
सिर्फ ख्वाबों से ही कभी, महल नहीं बनेगा।।
किसी की देख सफलता——————–।।
जब आया अवसर तो, डूबा रहा तू मस्ती में।
अहम- दौलत के नशे में, जीता रहा तू बस्ती में।।
धन बहुत लुटाया तुमने, यहाँ सदा मधुशाला में।
तेरे ऐसे कर्मों से कभी तुम्हें, सुख नहीं मिलेगा।।
किसी की देख सफलता——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)