ख्वाबों से परहेज़ है मेरा "वास्तविकता रूह को सुकून देती है"
इश्क में हमको नहीं, वो रास आते हैं।
24/236. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
डिग्रियां तो मात्र आपके शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र हैं ,
मैं तुझसे मोहब्बत करने लगा हूं
जो लोग टूट जाते हैं किसी से दिल लगाने से,
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
ऐ हवा तू उनके लवों को छू कर आ ।
दीन-दयाल राम घर आये, सुर,नर-नारी परम सुख पाये।
थाल सजाकर दीप जलाकर रोली तिलक करूँ अभिनंदन ।