मत जलाओ तुम दुबारा रक्त की चिंगारिया।
जमाना खराब हैं....
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
छोटे भाई को चालीस साल बाद भी कुंडलियां कंठस्थ रहीं
किसी काम को करते समय मजा आनी चाहिए यदि उसमे बोरियत महसूस हुई
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो।
है कौन जो इस दिल का मेज़बान हो चला,
आप और हम जीवन के सच............. हमारी सोच
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तारे
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
आ बढ़ चलें मंजिल की ओर....!
धुंधली यादो के वो सारे दर्द को
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।