तुम्हारी याद जैसे हो
कोई अनमोल हो ग़र तो, तुम्हारी याद जैसे हो,
कम्पित लबों पे अनकही फरियाद जैसे हो।
जो मौन को समझे, उत्तर भी मौन में दे,
वो है कोई अपना, जो एहसास जैसे हो,
कोई अनमोल हो ग़र तो, तुम्हारी याद जैसे हो,
कम्पित लबों पे अनकही फरियाद जैसे हो।
जो मौन को समझे, उत्तर भी मौन में दे,
वो है कोई अपना, जो एहसास जैसे हो,