(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
आना भी नही है कही जाना भी नही है
अब मिलने मिलाने का जमाना भी नहीं है
तुम भी तो मेरे चाहने वालों मे थे सामिल
किस्सा ये कोई खास पुराना भी नही है
इस दिल मे कई राज ऐसे भी है जिनको
करना भी नही याद और भुलाना भी नही है
दुनिया को बुरा कहना है हर हाल में लेकिन
दुनिया को छोड़ कर हमे जाना भी नहीं है
मन्दिर में भी मैखाने मे भी सो र बहुत है
अपना तो कही और ठिकाना भी नहीं है
साहिल पे गुजर हो तो समंदर से गरज क्या
खोना भी नहीं कुछ हमें पाना भी नही है
कुछ लोग ना समझे हैं ना समझेंगे हकीकत
हमको ये गजल उनको सुनाना भी नही है
तुम अगर समझदार हो तो समझ लो मुझको
मैं तुम्हारा था किसी और का होना भी नही है
तुम्हारी यादे है इतनी की किताबे पढ़ी नही जाती
तुम्हारी यादों के सिवा कुछ और पढ़ना भी नही है
साथ घूमे थे साथ रहते थे चाय पिलाता और पीते रहे
अब किसी के साथ हमको समय बिताना भी नही है
कभी मिल कर बहुत सारी बाते करना है तुमसे
अपनी बातो को छोड़ किसी और की बाते करना भी नही है
ऋतुराज वर्मा