तुम्हारा यू हर बार चले जाना
तुम्हरा बिना बोले चले जाना । ना कोई खबर ,ना कोई चिट्ठी , ओर बरसो बाद तुम्हरा इस तरह मेरे घर की दहलीज पर इस तरह आना ये कोई इत्तेफाक तो नहीं होगा ।
शायद ये इतिफाक ही था । वरना
सालो की दोस्ती ओर दोस्ती के बाद का प्यार इतने आसानी से टूटने वाला तो नहीं था । ख़ैर जो भी हो तुम बेखबर थी , शुरू से ही मेरी खबर तुम्हे थी ही नहीं ।ओर में बेखबर तुम्हरा इंतजार करता रहा । ओर तुमने वो इंतजार पूरा किया । मुझे याद था तुम बिना बोले जब भी गई हो लोट कर जरूर आयी हो ये तुम्हरी आदत थी , ओर तुम्हे पता है तुम्हरे चले जाने के बाद एक दिन मा कई दिनों से तुम्हरे बारे में पूछती रही । ओर में बात टालता रहा क्या कहता मुझे ही की कुछ खबर नहीं थी बस जाते जाते इतना ही बोला था जल्द ही मिलती हूं ।, उसने मेरी बात बीच में काटते हुए पूछा कहा है मा , दिखाई नहीं दे रही , ओर वो घर के बगीचे से लेकर सारे कमरों में आवाज लगती हुई चली गई , ओर में वही बैठे आंखो के पानी को रोके बैठा रहा । ओर वो आई ओर बोली दक्ष कहा है मा , मैने पास रखे संदूक से मां के दिए हुए कंगन निकल कर उसके हाथो में थमा दिए , ओर कहा बस ये दे गई वो जाते जाते