तुम्हारा मिलना
तुमसे बिना मिले भी
अनवरत तुमसे बातें मुसलसल है ।
तुम तसल्ली से सुन रहे
ये एहसास भी कुछ कमाल का है ।
मेरे दुःखी होने पर
तुम न होकर भी साथ होते हो ।
और खुश होने पर भी
तुम मुस्कुराते नजर आते हो ।
कभी-कभी बस यूँ ही
आंख में आंसू बन तुम आ जाते हो ।
और कभी -कभी अनायास
तुम्हारा प्रेम मुझे सतह तक छू जाता है ।
भीतर तक आन्दोलित हो जाती हूँ
तुम्हारे होने के एहसास से ।
आनन्द विभोर हो जाती हूँ
बिना स्पर्श के तुम्हारे यूँ छू जाने से ।
तृप्ति होती मन को
कि तुम दूर नही सदैव साथ हो।
बस फिर ये हाथ उस ईश्वर से यही मांगते
मेरे जीवन में सदैव तुम
ऐसी ही प्रिय अनुभूति बने रहना ।