तुम्हारा नुकसान
तुमने जो मुझको दूर किया
वह नुक़सान तुम्हारा था
जिस दिल को चकनाचूर किया
वह मकान तुम्हारा था…
(१)
मुझे अपने लिए कोई ग़म नहीं
अफ़सोस है लेकिन तुम्हारे लिए
जान का तोहफ़ा लाने वाला
मैं मेहमान तुम्हारा था…
(२)
ख़ैर, मैं तो एक फ़नकार ठहरा
ज़हर को भी अमृत बना लूंगा
मेरे गीतों और नज़्मों को
अरमान तुम्हारा था…
(३)
चाहे जितनी देर लगे लेकिन
यह बात तुम समझोगी ज़रूर
मेरा प्यार कुदरत से मिला
वरदान तुम्हारा था…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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