ख़ुद को फ़लक़ से नीचे उतारा अभी अभी
मां तेरा कर्ज ये तेरा बेटा कैसे चुकाएगा।
यूं ही नहीं होते हैं ये ख्वाब पूरे,
इस दर्द को यदि भूला दिया, तो शब्द कहाँ से लाऊँगी।
सुना है जो बादल गरजते हैं वो बरसते नहीं
हाथ में कलम और मन में ख्याल
**जिंदगी की टूटी लड़ी है**
इंसान एक खिलौने से ज्यादा कुछ भी नहीं,