तुमने
तन्हाइयो ने ऐसा हमको ज़खम दिया है।
दीवारों दर पे सूरत कैसा भरम दिया है॥
नज़रें जहाँ भी जायें बिछुडन की दास्तां है।
ऐ जाने जाना तुमने कैसा सितम दिया है॥
तन्हाइयो ने ऐसा हमको ज़खम दिया है।
दीवारों दर पे सूरत कैसा भरम दिया है॥
नज़रें जहाँ भी जायें बिछुडन की दास्तां है।
ऐ जाने जाना तुमने कैसा सितम दिया है॥