तुमने जब साथ छोड़ दिया
तुमने जब साथ छोड़ दिया ।
तब अकेला चलना सीख लिया।।
तुम्हें जब निष्ठुर काल आया था लेने ।
कहा होगा जरुर थोड़ा और ठहर लेने।।
मामा जब तुम इस लोक से परलोक जा रही होगी ।
सोच जरुर रही होगी कि मेरा दुलारा भारत नहीं आया मुझसे मिलने।
बताऊँ क्या मैं तुझे मामा पापा ने था नहीं बताया कि अब तुझसे जा रहा हूँ अन्तिम क्षण मिलने।।
ये तेरा दुलारा कहाँ सोच पाने में अति सक्षम था।
कि तुझे गंगाजी स्नान कराने लेकर जाना बोलना ये सब मुझ अबोध को ठगने को लहराने वाला परचम था।।
मामा अब मैं विवाहित हूँ हाँ कहने को प्रसन्न हूँ ।
पर कभी -कभी सोच लेता हूँ कि काश तुम होती और हम दोनों आराम से उत्तरौ कांथी में बैठते।
मामा अब कहता हूँ तू बहुत याद आती है।
और तुम्हारे दवाई को चोरी से खा जाना बरबस रुला जाती है।।
मेरे दादा दादी को समर्पित रचना आप से साझा कर रहा हूँ