तुतरु
तुतरू
पीपर पाना के तुतरु बनायेंन
पी..पीप..पी…पीप खूब बजायेन
उही में बिहाव गीत गायेन
गर्मी छुट्टी में रेचुल,ढेलुवा झूलेंन
ठठ्ठा – ठठ्ठा मितान बदेन
आम के डार ले पानी में कुदेन
पुतरी- पुतरा अब्बड़ खेलेन
टायर के गड्डी
चलायेन
खरगोश,रेस्टिप,नदी – पहाड़ खेलेंन
अमली के लाता कूटेन बोईरगुड़ा खायेन
बड़ा मजा पाएन
जिनगी ला सुघघर बनाएन।
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
रायपुर छत्तीसगढ़।