तुझको मै अपना बनाना चाहती हूं
तुझको मै अपना बनाना चाहती हूं।
तुझको प्यार करती हूं प्यार चाहती हूं।।
ला दो सुर्ख जोड़ा मुझ को,
मै उसे पहनना चाहती हूं।
तुम्हारे हाथो से मैं अपनी,
मांग सजवाना चाहती हू।।
मै तूझ से प्यार करती हूं,
बस तेरा प्यार चाहती हूं।
तुझको मै अपना,,,,,,,
करूंगी तुम्हारी प्रतीक्षा मैं हार लेकर,
आ जाना तुम भी अपनी बारात लेकर।
तुम मेरे गले में जयमाल डालना,
मै भी जयमाल डालना चाहती हूं।
मै तुझ से प्यार करती हूं,
बस तुझ से प्यार चाहती हूं।
तुझको मै अपना,,,,,
ये जमाना बड़ा बे दर्द है,
क्या बंधन तोड़ पाओगी।
ऐसा कभी ना हो कि,
बाद में तुम पछताओगी।
मै भी तुमसे प्यार करता हूं,
बस तुमसे प्यार चाहता हू।
तुझको मै अपना,,,,,
प्यार क्या चीज है सबको बता दूंगी,
इस जमाने को तेरे आगे झुका दूंगी।
जमाना हमसे है हम जमाने से नही,
आज मैं जमाने को बताना चाहती हूं,
मै तुमसे प्यार करती हूं
बस तुम्हारा प्यार चाहती हूं।
तुझको मै अपना,,,
तेरे सुर्ख होठों का स्पर्श चाहती हूं
तेरे साथ जिंदगी बिताना चाहती हूं।
इन्कार न करना मेरी जिंदगी में आ जाओ,
मै बनी हूं तेरे लिए,तुम मुझे अपना बनाओ।
इसके अलावा मै कुछ नही चाहती हूं,
मै तुझसे प्यार करती हू
बस तुझसे प्यार चाहती हूं।
तुझको मै अपना,,,,,,
आर के रस्तोगी गुरुग्राम