तीलियाँ
कहीं चूल्हे जलाती है
कहीं हुक्के जलाती है,
मुखिया के चाहने पर
कहीं ये घर जलाती है।
छोटी से डिबिया में
हजारों टन की शक्ती है,
श्मशान में कितनो को
ये मुक्ती भी देती है।
लोगो के मध्य कभी
है जब आग लगती ,
सूक्ष्म रूप से यह कार्य
लगता है वही करती है।
है लगता आग दिलो में
सुलगते जब है जोड़े,
लगाकर आग अपने को
वे दुनिया से मुख मोड़े।
कहीं ये यज्ञ करती है
हवन कहीं है करवाती,
मंदिर व चर्च में जाकर
दिया मोमबत्ती है जलाती।
माचिस की तीलियों से
बिंदास बनते है खिलौने,
बनाकर घर जलाते हुए
कितनो को देखा मैंने ।
निर्मेष जहाँ ये जख्म
सबको रही देती है ये,
पूरे कायनात के उदरो को
बड़े शिद्दत से भरती ये।
निर्मेष