माँ और बेटियाँ
पाप अपने कुछ मिटाने चल दिए
लोग गंगा में नहाने चल दिए
तीर्थ घर में है हमारे सोचकर
पैर माँ के हम दबाने चल दिए
स्कूल में पढना पढ़ाना आ गया है
अब उन्हें भी मुस्कुराना आ गया है
बोझ होती हैं नहीं ये बेटियाँ अब
खुद उन्हें बोझा उठाना आ गया है