तीन शेर
तीन शेर
दिया है जब हमें बचपन, तो थोड़े पैसे भी देते
बहुत महॅंगे खिलौने हैं, कहाँ से हम खरीदेंगे ?
मुलाकातें तो दो मिनटों में साहिब से करा हूँ मैं
मगर तुम सौ बरस में प्रेम करना कैसे सीखोगे ?
समस्याओं को भी हमने कभी बेकार कब समझा
हमें संघर्ष की ताकत समस्याओं से मिलती है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451