*तीन शेर*
तीन शेर
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(1)
किताबों की तरह जब चाहे पढ़ लेना हमें आकर
नकाबें ढ़क के जीने की कला हमको नहीं आती
(2)
हमें ख़्वाहिश नहीं है कोई दौलतमंद बनने की
रचोगे कोई साजिश भी तो क्या होगा बुरा अपना
(3)
यहाँ कोई कहाँ चाहता है ईश्वर से मुलाकातें
सभी को चाहिए बस चाभियाँ उसकी तिजोरी की
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा ,रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451