तीन चौपईयाँ
काला कपड़ा, न पहन यारब l हो सके, अँधेरे में गायब ll
ये अँधेरे अंधेर यारब l होवे गम कामयाब यारब ll
जो बोले, सो कुंडा खोले l तो फिर क्यों कर, कोई बोले ll
जो घटनायें, सही न तोले l वो भार समझ जीवन ढोले ll
पाना, खोना, रोना धोना l ना हो कोना, न भार ढोना ll
जीवन में कांटे ना बोना l बस प्रीत बिछोने पर सोना ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न