तीन कृषि कानून पर पक्ष विपक्ष
वास्तव में जनता को नहीं मालूम,
ये तीन कृषि कानून है क्या ?
समर्थन करने वालों का तर्क है.
मोदीजी पर विश्वास ✍️
कैसा विश्वास मालूम नहीं.
वे लाए है तो ठीक ही लाए होंगे.
मोदीजी की नाकामयाब चाल,
ये तो विपक्षी पार्टियाँ भडका रही है.
ये देशद्रोही/माओवादी/नक्सली/पाकिस्तानी/टुकडे-टुकड़े गैंग वाले है.
वामपंथियों की एकजुटता है आदि-आदि,
इस बार चीन का भी नाम कम्युनिस्टों की वजह से आ रहा है.
किसी को मतलब नहीं,
आपदा में अवसर का यह उत्पाद.
किन हालातों में और कैसे
कानून बने.
आधार किसान की आय दोगुनी.
पर कैसे,
विश्वास पाने के लिए, प्रयोग करो साल दो साल, वापिस ले लेंगे,
साल डेढ़ साल लागू नहीं करेंगे.
जीएसटी की तरह
इतने संशोधन
राज्यों को सही समय पर जीएसटी का पैसा मिल नहीं रहा है.
फिर भी कामयाब.
मोदीजी का आत्म-निर्भरता की आत्मा यही है,
जनता कुछ भी खरीदे, राजकोष बढ़े.
इससे ज्यादा अर्थ नहीं हैं.
आत्मनिर्भर भारत के.
वे किसान जिन्हें प्रधानमंत्री किसान नीधि योजना,
जिसके अंतर्गत वार्षिक छ: हजार रुपये मिलना,
न की गैस/डीजल/पैट्रोल खाद/बीज/कीटनाशक कृषि उपकरणों के मूल्यों में वृद्धि, बेरोजगारी, सरकारी संस्थानों की हिस्सेदारी बेच सरकार का एकतरफ हटना, नीजिकरण जैसी सोच, हमारे देश की अर्थव्यवस्था और विकसित देश के मार्ग पर रोड़ा है.
फिर भी मोदीजी तो मोदीजी हैं
वाली मानसिकता, देश के लिए घातक.
लेख लंबा हो जायेगा.
इसलिए विरोध की चर्चा आगे की पोस्ट में ✍️
Mahender Singh Hans