तीखा सूरज : उमेश शुक्ल के हाइकु
तीखा सूरज बरसा रहा आग
अनदेखी से विलुप्त हुए अनेक कूप तालाब
तंत्र सजाए तरक्की के ख्वाब
निकाय चुनाव दावतों का दौर
समर्थकों के नारों में गुम पीड़ाएं चहुंओर
विकास को मिलता नहीं ठौर
सच बोलना सबसे बड़ी खराबी
आसपास रहने वाले भी हो जाते तेजाबी
फुर्र सुकून, रिश्तों की बर्बादी
हरदिल अजीजों की बढ़ती आबादी
सरकारी विभागों में हाबी है धक्कामार परिपाटी
शिकायतें हाथ ले हलकान फरियादी
हर तरफ चुनाव का झुनझुना
कई को इंतजार जीत का बहाएं पसीना
समर्थक फरमाएं छेड़ो धुन नगीना