तिरंगा
चारों दिशा तिरंगा
लहरे दिशा दिशा रे!
नरसिंह हैं सिपाही,
माँ भारती दुलारे।।
नौका पराक्रम की,
हैं पार भव लगाते,
श्वासों को खर्च करके,
माँ भारती दुलारे।।
सुख पौध बीज रोपें,
सीमा खड़े सिपाही,
दुख-व्याधि से बचाते,
माँ भारती दुलारे।।
रखते पहाड़ से हैं,
सैनिक कड़े इरादे,
सबसे प्रखर जहाँ में,
माँ भारती दुलारे।।
उर गर्व से भरा है,
नीलम लिखे कहानी,
कर्त्तव्य सब निभाएँ,
माँ भारती दुलारे।।
नीलम शर्मा ✍️