तिरंगा
विधा:-विधाता छंद
तिरंगा देश का अनुपम,अनोखा है निराला है।
सजा है तीन रंगों से,हृदय में चक्र डाला है।
बसंती रंग सुखदायी, सुशोभित कर रहा माथा।
कथा बलिदान की कहता,सुनाये वीर की गाथा।
जिन्होंने देश की खातिर, चढ़ा दी शीश माला है।
तिरंगा देश का अनुपम,अनोखा है निराला है।
करो तुम स्नेह माटी से,धरा मधुबन बनाना है।
उतर कर स्वर्ग आ जाये,प्रकृति को भी बचाना है।
सुखद है रंग हरियाली,खुशी का एक प्याला है।
तिरंगा देश का अनुपम,अनोखा है निराला है।
रखो तुम शुद्ध तन-मन को,धवल यह ज्ञान देता है।
पहन लो शांति का चोला,यही संधान देता है।
अहिंसा सत्य मानवता,भरे उर में उजाला है।
तिरंगा देश का अनुपम,अनोखा है निराला है।
समय का चक्र कहता है,सदा सत् राह अपनाना।
कठिन है मंजिलें लेकिन, नहीं रुकना नहीं थकना।
पकड़ कर डोर हाथों में,प्रगति पथ को सँभाला है।
तिरंगा देश का अनुपम,अनोखा है निराला है।
तिरंगा शान भारत का,तिरंगा मान भारत का।
कफन है यह शहीदों का,सदा सम्मान भारत का।
करेंगे प्राण न्यौछावर,मगन मन मस्त आला है।
तिरंगा देश का अनुपम,अनोखा है निराला है।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली