तिरंगा
वतन मेरा ,नफरत की आग में फुकने ना दूँगा।
कल गूंजेगा हसीं तराना, रुकने ना दूँगा।।
लड़ना भी क्यों न पड़े मौत से चाहे मुझको अब-
जाँ से भी प्यारा हसीं, तिरंगा, झुकने ना दूँगा।
वतन मेरा ,नफरत की आग में फुकने ना दूँगा।
कल गूंजेगा हसीं तराना, रुकने ना दूँगा।।
लड़ना भी क्यों न पड़े मौत से चाहे मुझको अब-
जाँ से भी प्यारा हसीं, तिरंगा, झुकने ना दूँगा।