*तिरंगा प्यारा (बाल कविता)*
तिरंगा प्यारा (बाल कविता)
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अपना देश तिरंगा प्यारा
दुनिया में यह कभी न हारा
1
झंडा ऊॅंचा हम फहराते
आदर से फिर शीश झुकाते
न्यौछावर इस पर धन सारा
2
झंडा बतलाता शुभ गाथा
इससे गर्वित सबका माथा
भोगी थी वीरों ने कारा
3
झंडे का सम्मान बढ़ाऍं
धरती से यह नहीं छुआऍं
झंडा अमृत जीवन-धारा
अपना देश तिरंगा प्यारा
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कारा = कारागार,जेल
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451