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22 Aug 2022 · 1 min read

तिरंगा जान से प्यारा

ग़ज़ल
1222 1222 1222 1222

न लो भारत से कोई पंगा सोचो सिर्फ असुवन की
लड़े तो डूब जायेंगी सभी आशाएँ जीवन की

न कर यूँ बात ऊँची तू न पींगे हाक भाषन की
निगहबानी उसे करनी है खुद अपने गुलशन की

तिरंगा जान से प्यारा उसे रखना हिफाजत से
उठा हाथों लिया तलवार क्या परवाह चितवन की

घरों में घूस कर प्राणों को ले लेगा भारतवासी
बचा कर रख सभी अरमां सभी साँसें तू जीवन की

अगर घुसने की सरहद पार से कोशिश करे कोई
कलाई तोड़ कर रख देगा ये उस वक़्त दुश्मन की

क़सम खा कर ये कहता है यहाँ का बच्चा -बच्चा अब
हमें अब लाज रखनी है सुधा भारत के दामन की

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
9/8/2022,©®
वाराणसी

Language: Hindi
250 Views

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