तिरंगा
तिरंगे में लिखी केवल न गीता की कहानी है,
लिखी इसमें कुरान आयतें गुरुग्रन्थ वाणी है।
तिरंगा अपना कौमी एकता की भी निशानी है ।
कफ़न बनता किसी का देख ये हर आंख रोती है।
कहीं सिंदूर लुटता है कहीं सुत मात खोती है।
वतन के काम जो आई सफल पर वो जवानी है।
तिरंगा अपना कौमी एकता की भी निशानी है ।
चहकती आज है घाटी महकती भी सुनो वादी ।
गवा कर जान कितनोँ ने हमें दी आज आज़ादी।
शहीदों की शहादत याद कर आंखों में पानी है ।
तिरंगा अपना कौमी एकता की भी निशानी है ।
कहीं भी स्वर्ग से है कम नहीं कश्मीर मनभावन
तपोवन सी धरा अपनी नदी गंगा पतित पावन।
तिरंगे को झुलाती सी पवन लगती सुहानी है।
तिरंगा अपना कौमी एकता की भी निशानी है ।
मिले संस्कार पुरखों से उन्हें खोने नहीं देंगे ।
तिरंगा हाथ में लेकर शपथ इसकी सभी लेंगे।
भरे जो जोश लोगों में कलम ऐसी चलानी है ।
तिरंगा अपना कौमी एकता की भी निशानी है।
14-8-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद