तितली तुम भी आ जाओ
तितली तुम भी आ जाओ,
सुना मन सुना है उपवन, ,
खिला हृदय पर चिंता का गहरा,
अमृत घोल से, चहक बोल बन,
हर्षित पुष्प खिला जाओ,
तितली तुम भी आ जाओ ।
प्रात की कलरव सौगात,
मनमोहक है शीतल वात,
कोमल तन की कोमल पात,
पर ओस बन, बिजली सी छिटका जाओ,
तितली तुम भी आ जाओ।
आंखों में काजल की लहरी,
इन्दु सी बिन्दी भी सिहरी
होठों की लाली भी गहरी,
चमक अधर की लाली बन मुस्का जाओ,
तितली तुम भी आ जाओ ।
बैशाख में हर्षित किसान,
घर घर पसरा सुखद विहान,
आम, महुआ, कटहल ,लीची,
की सौरभ ,दोनों हाथ उड़ा जाओ,
तितली तुम भी आ जाओ।
बच्चों की किलकारी गुंजित,
हुए ठहाके, उनके मंजीत,
नन्ही नन्ही कलियाँ है पुषपित,
तितली तुम मंडरा जाओ,
तितली तुम भी आ जाओ।
उमा झ 💕