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20 Feb 2024 · 1 min read

नदी का किनारा ।

नदी का किनारा ,
लगता कितना प्यारा।
किसी का ये आशियाँ,
है सबसे न्यारा।

ठहरा हुआ जल है,
मछलिया घुल मिल है।
बतखों ने इसको,
अपनी चोंच से सँभारा ।

दादुर ने इसमें ही,
टर टर पुकारा।
अति सुंदर है,
यह भव्य नजारा।

कितनो को इसने ,
मंजिल से मिलाया।
कितने बिछड़ो को,
है रास्ता दिखाया।

डूबे हुए को इसने,
पार लगाया।
पहुंचा वही किनारे ,
जो कभी न हारा।

असंख्य ‘दीपों’ ने ,
इसको खूब संवारा।
रोशनी से जगमग,
लगता सबसे न्यारा ।

-जारी
-कुल’दीप’ मिश्रा

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