” तारे “
ये टिमटिमाते तारे ना जाने क्या कहते हैं ,
अपने आप में ना जाने कितने दर्द बयां करते हैं ।
सब कुछ तो नहीं पर कुछ तो निखारते हैं ,
अपने चमक से हर ग़म को छुपा लिया करते हैं ।।
✍️ ज्योति ✍️
ये टिमटिमाते तारे ना जाने क्या कहते हैं ,
अपने आप में ना जाने कितने दर्द बयां करते हैं ।
सब कुछ तो नहीं पर कुछ तो निखारते हैं ,
अपने चमक से हर ग़म को छुपा लिया करते हैं ।।
✍️ ज्योति ✍️